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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2776
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।

उत्तर -

साझा न्यूनतम कार्यक्रम
(Common Minimum Programme)

1996-97 में केन्द्र में संयुक्त मोर्चा सरकार की स्थापना के बाद केन्द्रीय सरकार ने तीव्र आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने की नीति से 13 राजनीतिक दलों के साथ परामर्श करके 4 जून 1996 को साझा न्यूनतम कार्यक्रम बनाया। इस कार्यक्रम के मुख्य बिन्दु निम्न हैं-

(1) सामाजिक न्याय - संयुक्त मोर्चा कम सम्पन्न और वंचित वर्गों और सम्प्रदायों को अधिकार प्रदान करने के लिये वचनबद्ध है। लोकसभा और राज्य विधान सभाओं में निर्वाचित सदस्यों का एक-तिहाई महिलाओं के लिये आरक्षित किया जायेगा। सार्वजनिक रोजगार में अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के आरक्षण की नीति जारी रखी जायेगी।

कारीगर, शिल्पी, छोटे दुकानदार, बुनकर और मछुआरे हमारे समाज के सबसे उपेक्षित वर्ग हैं। इनके कौशल को बढ़ाने, इन्हें आधुनिक औजार देने और अधिक ऋण सुविधायें प्रदान करने और इनके द्वारा उत्पन्न की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं को अधिक बिक्री योग्य बनाने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाये जायेंगे। न्यूनतम साझा कार्यक्रम में मलिन बस्तियों में रहने वालों को उन जमीनों का स्वामित्व अधिकार दिये जाने, उनके सुधार के लिए उचित प्रावधान करने तथा सामूहिक गृह-निर्माण (Group-Housing) की व्यवस्था का भी प्रावधान है।

(2) आर्थिक नीति - साझा न्यूनतम कार्यक्रम के अन्तर्गत सामाजिक न्याय के साथ विकास होगा। देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को अगले दस वर्षों के लिये 7% से अधिक वार्षिक दर से बढ़ाने की जरुरत है ताकि देश में विद्यमान गरीबी व बेरोजगारी को समाप्त किया जा सके।

(3) अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों को अधिकार सम्पन्न बनाना - साझा न्यूनतम कार्यक्रम में अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं अन्य वर्गों तथा समाज के कमजोर वर्गों को, जो वनों में काम करते हैं, स्वामित्व अधिकार दिलाने का भी प्रावधान रखा गया है।

(4) स्थायित्व एवं संघवाद (Stability and Federalism) - संयुक्त मोर्चा सरकार राजनीतिक, प्रशासनिक और आर्थिक संघवाद के सिद्धान्तों को बढ़ावा देगी। इनमें से प्रत्येक क्षेत्र में अधिकारों का हस्तान्तरण और सत्ता का विकेन्द्रीयकरण किया जायेगा।

(5) एक न्यायपूर्ण एवं मानवीय समाज की ओर - साझा न्यूनतम कार्यक्रम में निःशुल्क एवं प्राथमिक शिक्षा को मूलाधिकार (Fundamental Right) बना दिया जायेगा और इसे उचित वैधानिक नियमों द्वारा लागू किया जायेगा। बच्चों और विकलांगों के लिये तथा बाल मजदूरी को सभी व्यवसायों एवं उद्योगों से समाप्त करने के लिये विशेष कार्यक्रम आरम्भ किये जायेंगे।

(6) गरीबी दूर करना - सरकार सभी गरीबी-विरोधी कार्यक्रमों की समीक्षा करेगी ताकि उन्हें अधिक राशि प्रदान करके मजबूत बनाया जा सके। पंचायती राज संस्थाओं द्वारा प्रत्येक बेरोजगार व्यक्ति को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा तथा सरकार सन् 2005 तक गरीबी को समाप्त करने की प्रतिज्ञा करती है।

(7) कृषि - भारत में आर्थिक सुधारों और पुनर्निर्माण की कोई भी रणनीति दीर्घकालिक व विस्तृत कृषि विकास के बिना सफल नहीं हो सकती। इसलिये साझा न्यूनतम कार्यक्रम में कृषि में विनियोग की दर बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया। ऐसे सभी नियन्त्रण व विनियम (Regulations ) जो किसानों की आय वृद्धि में रुकावट डालते हैं, की समीक्षा की जायेगी और जहाँ कहीं भी वे अनावश्यक माने जायेंगे, हटा दिये जायेंगे। कृषि वस्तुओं के प्रसंस्करण पर लगे हुये नियन्त्रण समाप्त कर दिये जायेंगे। ऐसे उपाय किये जायेंगे कि किसान को अपने उत्पादन की उचित व लाभकारी कीमत मिल सके। इसके साथ ही ग्रामीण अधःसंरचना (Rural Infrastructure) के विकास की ओर विशेष ध्यान दिया जायेगा। ग्राम्य साख प्रणाली का पुनर्गठन किया जायेगा। देश के किसानों को बार-बार बाढ़ व सूखे के प्रकोप से बचाने के लिये पानी के बँटवारे और जल प्रबन्ध की राष्ट्रीय नीति तैयार की जायेगी।

(8) अधः संरचना का ढाँचा (Infrastructure ) - अध : संरचना में विनियोग के कुल घरेलू उत्पाद के वर्तमान 3.5% को बढ़ाकर आगामी कुछ वर्षों में 4% करना होगा। अर्थव्यवस्था का विकास और जनसामान्य की जरूरतें संचालन शक्ति, तेल, टेलिकॉम, रेलवे, सड़कों और बन्दरगाहों की क्षमता बढ़ाये बिना पूरी नहीं की जा सकती। आगामी पाँच वर्षों में इन क्षेत्रों की संचयी आवश्यकताओं के लिये कम से कम 7,00,000 करोड़ रुपये का विनियोग करना होगा।

( 9 ) सार्वजनिक क्षेत्र ( Public Sector ) - सार्वजनिक क्षेत्र भारतीय उद्योग का महत्वपूर्ण अंग है। संयुक्त मोर्चा सरकार उसे मजबूत और प्रतिस्पर्धात्मक बनाने में सहयोग देगी। सरकार उन सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों की पहचान करेगी जिन्हें तुलनात्मक लाभ प्राप्त है और उनके विश्वव्यापी भीमकाय उद्यम (Global Giants) बनने के प्रयास को बढ़ावा देगी। बीमार सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों का विकल्पों द्वारा पुनर्स्थापन करना होगा।
सार्वजनिक क्षेत्र को गैर-क्रोड (Non-Core) और गैर- सामाजिक (Non-Strategic) क्षेत्रों से हटा लेने के प्रश्न की ध्यानपूर्वक समीक्षा की जायेगी किन्तु ऐसा करते समय श्रमिकों और कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा या विकल्प रूप में उन्हें पुनः प्रशिक्षित करके उन्हें अन्य व्यवसाय में काम पर लगाने का विश्वास दिलाया जायेगा। स्वास्थ्य और शिक्षा पर निवेश बढ़ाया जायेगा।

(10) उद्योग - तीव्र आर्थिक विकास की कुंजी तेज श्रम- प्रधान औद्योगीकरण है। साझा न्यूनतम कार्यक्रम में औद्योगिक क्षेत्र में 12% वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त करने की बात कही गई है। सरकार देशी बचत और पूँजी निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिये उचित नीतियाँ तैयार करेगी। उद्योगों की जरूरत का अधिकतर भाग देश में उपलब्ध कराया जायेगा। विदेशी विनियोग आधुनिक टेक्नोलॉजी और प्रबन्ध-व्यवहार के लिये जरूरी है। बहुउद्देशीय कम्पनियों का निम्न प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रवेश उचित राजकोषीय एवं अन्य उपायों द्वारा हतोत्साहित किया जायेगा।

(11) सार्वजनिक विनियोग (Public Investment ) - सार्वजनिक विनियोग का अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्यभाग (Role) है विशेषकर शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे सामाजिक क्षेत्र में। किन्तु इन क्षेत्रों में संगठनात्मक एवं प्रबन्धात्मक परिवर्तन उतने ही जरूरी हैं जितना कि अधिक विनियोग। इसके अलावा कुशलता और उत्पादकता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। सामाजिक सेवायें और उपयोगितायें (Utilities) तो न्यूनतम कीमत पर उपलब्ध करानी ही होंगी। जहाँ साहाय्यों या सब्सिडी की जरूरत है, वहाँ इसका सीधा लक्ष्य जरूरतमन्द एवं गरीबों को वास्तविक रूप में लाभ पहुँचाना होना चाहिये।

(12) पेय जल, प्राथमिक स्वास्थ्य रक्षा और गृह-निर्माण - पीने का पानी, स्वास्थ्य रक्षा और गृह-निर्माण राजकीय सरकारों के अधीन आने वाले विषय हैं परन्तु केन्द्र सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रत्येक नागरिक को बुनियादी आवश्यकतायें निश्चित की जा सकें। नौवीं योजना में इस आग्रह से विशेष योजनायें तैयार करनी होंगी ताकि-

(1) प्रत्येक आवास को वहनीय पेय जल उपलब्ध हो।
(2) 5000 व्यक्तियों के लिये एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हो तथा उसका कुशल प्रबन्ध किया जाता हो।
(3) अत्यन्त गरीबों को सार्वजनिक गृह निर्माण कार्यक्रम के अधीन बनाये गये मकान उपलब्ध होने चाहियें।

(13) राजकोषीय प्रबन्ध (Fiscal Management) - राजकोषीय सावधानी एवं निम्न स्फीति, स्थिर कीमत स्तर और तीव्र विकास की कुंजी है। सरकार राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) को सकल घरेलू उत्पाद के 4% से नीचे लायेगी। इसके लिये सरकार कर सुधारों (Tax Reforms) की क्रिया जारी रखेगी। सरकार कानूनी रूप से प्राप्त होने वाले राजस्व को बढ़ाने के लिये अन्य उपाय करेगी और कर- वंचन (Tax Evasion) को कम करेगी। सब्सिडी का लक्ष्य वस्तुतः जरूरतमन्द और गरीब वर्ग होंगे।

(14) स्वच्छ प्रशासन - सरकार भ्रष्टाचार रहित स्वच्छ प्रशासन स्थापित करने के लिये वचनबद्ध है। सरकार इसके लिये लोकपाल विधेयक विचारार्थ लोकसभा में रखेगी। इस विधेयक में प्रधानमंत्री का पद भी शामिल होगा। लोकसभा के सभी सदस्यों को लोकपाल के प्रति अपनी परिसम्पत्तियों (Assets) की प्रतिवर्ष घोषणा करनी होगी।

(15) शिक्षा - राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद का 6% शिक्षा पर व्यय किया जायेगा। यह लक्ष्य सन् 2000 तक प्राप्त किया जायेगा। इस राशि का 50% प्राथमिक शिक्षा पर खर्च होगा। तकनीकी व व्यावसायिक कौशल एवं प्रशिक्षण के लिये काफी धनराशि उपलब्ध कराई जायेगी ताकि अधिक मात्रा में रोजगार योग्य और स्वरोजगार के लिये युवक तैयार किये जा सकें। राष्ट्रीय साक्षरता मिशन (National Literacy Mission) का 1998-99 तक 10 करोड़ बालिगों को साक्षर बनाने का लक्ष्य पूरा किया जायेगा। राष्ट्रीय साक्षरता मिशन स्त्रियों में साक्षरता फैलाने पर विशेष ध्यान देगा। सरकार 2003 तक राष्ट्र को पूर्णतया साक्षर बनाने के लिये वचनबद्ध है। प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में लगातार उपस्थिति बनाये रखने के लिये दोपहर को भोजन की योजना (Mid Day Meal Scheme) सभी राज्यों में लागू की जायेगी।

शिक्षा के विस्तार के लिये प्रत्येक कदम में बालिकाओं (Girl Child) का विशेष ध्यान रखा जायेगा।

(16) विज्ञान और टेक्नोलॉजी (Science and Technology) - अनुसंधान और विकास को प्रोन्नत करने तथा राष्ट्रीय एवं अन्य प्रयोगशालाओं को और मजबूत बनाने के लिये सभी संभव प्रयास किये जायेंगे जिनमें पर्याप्त राशि का प्रावधान भी शामिल होगा। सरकार विज्ञान व टेक्नोलॉजी पर एक प्रगतिशील नीति अपनायेगी और इसे कार्यान्वित करेगी। जिससे एक आधुनिक और आत्मनिर्भर समाज का निर्माण हो सके।

(17) पर्यावरण ( Environment) - साझा न्यूनतम कार्यक्रम में पर्यावरण की सुरक्षा के लिये भी जगह दी गई है। इसमें वृक्षारोपण, बेकार भूमि के विकास और अवर्गीकृत वनों के पुनर्रोपण का कार्यक्रम पंचायती राज संस्थाओं द्वारा चलाने का प्रस्ताव रखा गया। संयुक्त मोर्चा सरकार की पर्यावरण नीति तीव्र और पोषणीय आर्थिक विकास की आवश्यकता के साथ युक्तिसंगत होगी। प्रदूषण फैलाने वाले के विरुद्ध कड़े कदम उठाये जायेंगे।

निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि आज का भारत अपने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक जीवन में एक भारी संक्रमण काल के दौर से गुजर रहा है।

इस समय मार्गदर्शन करने के लिये लोकतन्त्र, धर्म समभाव, संघवाद और सामाजिक न्याय के सिद्धान्तों को मजबूत करने की जरूरत है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  3. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
  4. प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
  6. प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
  7. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
  13. प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
  16. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
  17. प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
  19. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
  20. प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
  22. प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  27. प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  33. प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
  34. प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
  37. प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
  40. प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
  41. प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
  42. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
  44. प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  45. प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
  46. प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  47. प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
  49. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
  54. प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
  57. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
  58. प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
  59. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
  60. प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
  61. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
  62. प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
  63. प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
  64. प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
  65. प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
  68. प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
  69. प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
  70. प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
  71. प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  72. प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
  73. प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
  74. प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
  79. प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  84. प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
  85. प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
  86. प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
  87. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
  88. प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
  89. प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
  90. प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
  92. प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
  93. प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
  94. प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?

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